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अस्थमा और एलर्जी पीड़ितों के लिए यह माह थोड़ा खतरनाक
होता है। क्योंकि बारिश के बाद सितंबर में धूल उड़ती है। बारिश के कीटाणुओं
को फैलने-पनपने का मौका मिल जाता है। यूं भी वातावरणीय कारकों के कारण बढ़
रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती
जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं।
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आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि
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भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के
देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के
आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि से आज के दिन प्रार्थना की जाती है कि वे
समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें।
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आपका हार्ट और आयुर्वेद
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आज विश्व की आबादी के 90 प्रतिशत व्यक्ति हृदय रोग से
पीड़ित है जो अनियमित भोजन, अनियमित दिनचर्या के साथ फास्ट फूड अत्यधिक
प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से एसिडिटी, गैस,
उच्च रक्तचाप, मोटापा तथा मधुमेह जैसे रोग के साथ हृदय रोग की उत्पत्ति
करता है, जिसमें एंजायना पेन, हार्ट अटैक, आर्टी चोक, ब्लडप्रेशर जैसे
प्रमुख रोग हैं।
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आयुर्वेद बचाए बाईपास सर्जरी से
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भारत में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का चरम विकास आज से
लगभग 5 हजार वर्ष पुर्व सुश्रुत काल में मिलता है। काशी के राजा दिवोदास
जिन्हें धन्वन्तरी भी कहते हैं -शल्यक्रिया के सफल चिकित्सक थे। वर्तमान
काल में उनके अनुयायी योगरत्नाकर ने सुश्रुत के आधार पर लिखा हैं कि
वातपित्त कफादि दोष विगुण होकर(घट-बढकर) रस (रक्त में स्थित रक्त कणों के
अतिरिक्त जो कुछ हैं) को दुषित कर के ह्दय में जाकर रूकावट उत्पन्न करते
हैं। अर्थांत ह्रदय को रक्त प्रदान करने में बाधा डालते हैं।
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आयुर्वेद हमेशा आगे रहेगा
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भारत में आयुर्वेद की प्राचीन यशस्वी परंपरा रही हैं।
भारत की कई बड़ी कंपनियाँ इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहीं हैं। इस श्रृंखला
में वैद्यनाथ और डाबर दो प्रमुख नाम हैं। धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद की
महत्ता प्रतिपादित करते हुए प्रस्तुत है इन कंपनियों की जानकारी देती यह
विशेष रिपोर्ट:
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असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया
अशोका' कहते हैं। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9
इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे
रंग के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं।
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सिर दर्द की आयुर्वेदिक चिकित्सा
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सिर दर्द व नारी रोगों से पीड़ित महिलाएँ दोनों वक्त
भोजन के बाद आधा कप पानी में टॉनिक एफ-22 या सुंदरी संजीवनी डालकर पिएँ।
सुबह-शाम दूध के साथ दो गोली अशोल टेबलेट लें। यह प्रयोग 3-4 माह तक नियमित
करना चाहिए।
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गर्मियों में सेहत और आयुर्वेद
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ग्रीष्म ऋतु में दाडिमावलेह का सेवन हर व्यक्ति के लिए
अमृततुल्य है अर्थात दाडिमावलेह में रोगशमन की विशिष्ट ताकत है। दाडिम
शरीर की गर्मी व खून की कमी दूर करने में लाभकारी होता है। दाडिमावलेह में
दाडिम रस के साथ जायफल, जावित्री, तेजपान, दालचीनी आदि द्रव्यों का उपयोग
किया गया है। दाडिमवलेह मुख का स्वाद, रुचि बढ़ाने का पाचन क्रिया का कार्य
सुचारु रूप से रखने में सहायक है।
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दुबलापन : कारण व उपचार
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आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर
वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः
कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम
मात्र है।
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सर्दियों में स्वस्थ रखे आयुर्वेद
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जाड़ों में रात बड़ी होने से सुबह जल्दी ही भूख लग जाती है। सुबह का नाश्ता
तंदुरुस्ती के लिए ज्यादा फायदेमंद है। नाश्ते में हलुआ, शुद्ध घी से बनी
जलेबी, लड्डू, सूखे मेवे, दूध आदि पौष्टिक एवं गरिष्ठ पदार्थों का सेवन
करना चाहिए....
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उपवास : सर्वश्रेष्ठ औषधि
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आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के
विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें
शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को
सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है।
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वसंत ऋतु में न खाएँ दही
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दही का शरीर को पोषण करने के साथ-साथ औषधीय प्रयोग भी
है। दही के गुणकर्मों के अनुसार आयुर्वेद में दही सेवन के तरीके एवं उसका
किन व्यक्ति/ रोगी को सेवन निषेध एवं ऋतु अनुसार सेवन विधि का वर्णन
विस्तृत रूप में प्राप्त होता है।
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