गर्मियों में इन पांच खाद्य पदार्थों का सेवन 'न' करें...
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अप्रैल और मई के महीनों में तापमान सबसे ज्यादा बढ़
जाता है। यह गर्मी बाहर के तापमान को तो बढ़ाती ही है, साथ ही शरीर में भी
गर्मी उत्पन्न करती है जिससे व्यक्ति थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करता है
जिससे उसकी एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
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चेरी क्यों खाएं? चेरी खाने के 3 मुख्य कारण
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छोटी लाल चेरी को अक्सर अनदेखा किया जाता है, लेकिन यह
स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। यह फल पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है
और चेरी को एक 'उपचार फल' (healing fruit) भी माना जाता है। रिसर्च में
पता लगाया है कि चेरी का तीखा जूस अनिद्रा को कम करता है और यह गठिया रोग
का खतरा भी कम करता है।
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कच्ची सब्जियाँ खाएँ, सेहत बनाएँ
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भरपूर भोजन के साथ अगर आप अच्छी सेहत का सपना पाले हुए
हैं, तो अपने भोजन में किसी कच्ची सब्जी या फल को जरूर शामिल करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे फल और सब्जियाँ भोजन को पचाने में सहायता
करने के साथ शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। विशेषज्ञों
के अनुसार कच्ची सब्जियों और फलों का कोई और विकल्प भी नहीं है।
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मौसमी सब्जियाँ : पौष्टिक और गुणकारी
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बाजार में चारों तरफ हरी पत्तेदार सब्जियाँ ताजी एवं
सस्ते दामों में छाई हुई हैं, लेकिन यह जानते हुए भी कि हरी पत्तेदार
सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है, बहुत कम सब्जियों का उपयोग किया
जाता है व उनमें से बहुत हरी पत्तेदार सब्जियों को जानते हुए भी फेंक दिया
जाता है। जैसे- चोलाई की डंडी, काँटेवाली चोलाई, चुकंदर, चने की दाल, छोड़,
इमली व लीची के पत्ते, अरवी, कद्दू, गाजर, फूलगोभी, लौकी, गिलकी, टमाटर,
आलू, सोयाबीन, आँवले, करेले व शलजम के पत्ते को भी खाने में उपयोग कर सकते
हैं।
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शाकाहारी होना 'कूल' है
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चाहे किसी प्रसिद्ध हस्ती की नकल हो, जानवरों के प्रति
सहानुभूति हो या स्वास्थ्य कारण हो, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता
कि युवा शुद्ध शाकाहार की ओर लौट रहे हैं। आज हर कहीं शाकाहार के प्रति
युवा आकर्षित हो रहे हैं। अब धार्मिक नियमों के बंधन, नैतिकता, स्वास्थ्य
या मांसाहार के प्रति अरुचि भी इसका कारण हो सकता है। ऐसे युवाओं की संख्या
दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो मांसाहार को किसी भी रूप में स्वीकार करने को
तैयार नहीं हैं।
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देशी दही के खिलाफ साजिश
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हमारे देश में घर से कोई कहीं जाने लगता है तो शगुन के
लिए दही खिलाने का रिवाज है। मतलब दही हमारे लिए एक आस्था भी है। दही में
पलने वाला भला बैक्टीरिया हमारे पेट को सिर्फ कई रोगों से ही नहीं बचाता है
बल्कि मान्यता है कि यह बुरी ताकतों से भी बचाता है। दही से बने मट्ठे के
बारे में एक बहुत चर्चित कहावत है- जो खाए मट्ठा, वही होए पट्ठा। लेकिन
लगता है, अब उस दही पर ही संकट आने वाला है। सरसों के तेल की तरह दही और
उससे बने मट्ठे को बदनाम करने की कोई रणनीति बन रही हो तो उसमें आश्चर्य की
बात नहीं।
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कैसे करें शुद्ध शहद की पहचान
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शहद एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों
द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद
छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है। शहद का स्वाद बेहद
मीठा होता है। दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है जो उत्तम एवं संतुलित भोजन
की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो
संतुलित आहार में होने चाहिए।
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आपके खाने में फाइबर है क्या?
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वैसे तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनेक तरह की
बीमारियाँ हमें अपनी चपेट में ले चुकी हैं लेकिन आमतौर पर जिस बीमारी से आज
हर इंसान परेशान है, वह है पेट की बीमारी। आज ज्यादातर लोग पेट दर्द,
एसिडिटी, जलन, खट्टी डकार जैसी पेट की बीमारियों से परेशान हैं। इस तरह की
समस्याएँ रेशेदार भोजन न करने से होती हैं। फलों को छिल्के समेत खाने से भी
हमारे शरीर को फाइबर प्राप्त होता है जो हमारी पेट संबंधी बीमारियों को
दूर करने में अहम भूमिका निभाता है। फाइबर युक्त या रेशेदार भोजन से खाना
अच्छी तरह पच जाता है।
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ब्रेड भी हो सकती है खतरनाक!
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हमारे देश के कई घरों में सुबह का नाश्ता और 'ब्रेड'
एक-दूसरे के पूरक हैं। कोई ब्रेड मक्खन के साथ खाता है, तो कोई चीज स्प्रेड
के साथ। कोई ब्रेड को जेम के साथ खाता है तो कोई दूध में डालकर। ब्रेड को
क्रीम के साथ भी खाया जाता है। ब्रेड के सेंडविच बनते हैं। बर्गर और पिज्जा
के मूल में भी ब्रेड ही होती है। पावभाजी खाने वाले तो जानते ही हैं कि
पाव मतलब ब्रेड ही है। हम रोजाना ब्रेड से रूबरू होते हैं और उसके कई
प्रकार के पकवान बनाते-खाते हैं।
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विश्व आहार दिवस : 16 अक्टूबर
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बिगड़ते खान-पान के कारण आज लोगों की सेहत पर बेहद
बुरा असर पड़ रहा है। 16 अक्टूबर विश्व आहार दिवस के रूप में मनाया जाता
है। इस दिन अपनी आहार शैली को सुधारने का संकल्प लिया जा सकता है। अब हमें
आहार के प्रति हर जगह पर विशेष सतर्कता की जरूरत है। चाहे वह होटल, स्कूल,
हॉस्पिटल, घर या रेस्टारेंट हों, हर जगह संतुलित आहार अवश्य मिले।
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सेहत के लिए लाभकारी शाकाहार
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भारतीय संस्कृति में हमेशा से शाकाहार की महिमा पर जोर
दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद
शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के
सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से
किनारा करना शुरू कर दिया है।
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नवरात्रि में ले सकते हैं फास्ट फूड
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पुराने जमाने में व्रत रखने वाले लोग सिर्फ एक वक्त
सात्विक भोजन किया करते थे। जिसमें दूध, फल या सामक के चावल से बनी खिचड़ी
या खीर प्रमुख थी। आजकल के दौर में जहाँ सब कुछ तेज रफ्तार से होता है,
वहीं भोजन भी कुछ इसी अंदाज का हो गया है। आमतौर पर तो आप बर्गर, पेटीज,
वेफर्स जैसे फास्टफूड खाते ही हैं, व्रत और उपवास के लिए भी कई तरह के
पैक्ड फूड बाजार में आ रहे हैं।
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