ब्रेड भी हो सकती है खतरनाक!
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हमारे देश के कई घरों में सुबह का नाश्ता और 'ब्रेड' एक-दूसरे के पूरक हैं। कोई ब्रेड मक्खन के साथ खाता है, तो कोई चीज स्प्रेड के साथ। कोई ब्रेड को जेम के साथ खाता है तो कोई दूध में डालकर। ब्रेड को क्रीम के साथ भी खाया जाता है। ब्रेड के सेंडविच बनते हैं। बर्गर और पिज्जा के मूल में भी ब्रेड ही होती है। पावभाजी खाने वाले तो जानते ही हैं कि पाव मतलब ब्रेड ही है। हम रोजाना ब्रेड से रूबरू होते हैं और उसके कई प्रकार के पकवान बनाते-खाते हैं।
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Wednesday, April 30, 2014
ब्रेड भी हो सकती है खतरनाक!
यौन शक्ति बढ़ाने के आयुर्वेदिक नुस्खे
आयुर्वेद
और बुजुर्गों के अनुभव के आधार पर हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास ऐसे नुस्खे
जो ना सिर्फ यौन शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि इनके प्रयोग से
शारीरिक शक्ति और सुंदरता में भी बढ़ोतरी हो सकती है। पेश है आसान और अचूक
नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के-
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* 100-100 ग्राम उड़द व गेहूं का आटा और पिप्पली चूर्ण लेकर उसमें 600 ग्राम शकर की चाशनी और सूखे मेवे मिलाकर लड्डू बनाएं। इसे 30-40 ग्राम की मात्रा में लेकर हर रोज रात को सोने से पहले खाकर ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से सेक्स संबंधी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं और शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
आयुर्वेद
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अस्थमा और एलर्जी पीड़ितों के लिए यह माह थोड़ा खतरनाक
होता है। क्योंकि बारिश के बाद सितंबर में धूल उड़ती है। बारिश के कीटाणुओं
को फैलने-पनपने का मौका मिल जाता है। यूं भी वातावरणीय कारकों के कारण बढ़
रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती
जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं।
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आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि
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भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के
देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के
आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि से आज के दिन प्रार्थना की जाती है कि वे
समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें।
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आपका हार्ट और आयुर्वेद
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आज विश्व की आबादी के 90 प्रतिशत व्यक्ति हृदय रोग से
पीड़ित है जो अनियमित भोजन, अनियमित दिनचर्या के साथ फास्ट फूड अत्यधिक
प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से एसिडिटी, गैस,
उच्च रक्तचाप, मोटापा तथा मधुमेह जैसे रोग के साथ हृदय रोग की उत्पत्ति
करता है, जिसमें एंजायना पेन, हार्ट अटैक, आर्टी चोक, ब्लडप्रेशर जैसे
प्रमुख रोग हैं।
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आयुर्वेद बचाए बाईपास सर्जरी से
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भारत में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का चरम विकास आज से
लगभग 5 हजार वर्ष पुर्व सुश्रुत काल में मिलता है। काशी के राजा दिवोदास
जिन्हें धन्वन्तरी भी कहते हैं -शल्यक्रिया के सफल चिकित्सक थे। वर्तमान
काल में उनके अनुयायी योगरत्नाकर ने सुश्रुत के आधार पर लिखा हैं कि
वातपित्त कफादि दोष विगुण होकर(घट-बढकर) रस (रक्त में स्थित रक्त कणों के
अतिरिक्त जो कुछ हैं) को दुषित कर के ह्दय में जाकर रूकावट उत्पन्न करते
हैं। अर्थांत ह्रदय को रक्त प्रदान करने में बाधा डालते हैं।
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आयुर्वेद हमेशा आगे रहेगा
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भारत में आयुर्वेद की प्राचीन यशस्वी परंपरा रही हैं।
भारत की कई बड़ी कंपनियाँ इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहीं हैं। इस श्रृंखला
में वैद्यनाथ और डाबर दो प्रमुख नाम हैं। धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद की
महत्ता प्रतिपादित करते हुए प्रस्तुत है इन कंपनियों की जानकारी देती यह
विशेष रिपोर्ट:
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असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया
अशोका' कहते हैं। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9
इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे
रंग के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं।
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सिर दर्द की आयुर्वेदिक चिकित्सा
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सिर दर्द व नारी रोगों से पीड़ित महिलाएँ दोनों वक्त
भोजन के बाद आधा कप पानी में टॉनिक एफ-22 या सुंदरी संजीवनी डालकर पिएँ।
सुबह-शाम दूध के साथ दो गोली अशोल टेबलेट लें। यह प्रयोग 3-4 माह तक नियमित
करना चाहिए।
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गर्मियों में सेहत और आयुर्वेद
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ग्रीष्म ऋतु में दाडिमावलेह का सेवन हर व्यक्ति के लिए
अमृततुल्य है अर्थात दाडिमावलेह में रोगशमन की विशिष्ट ताकत है। दाडिम
शरीर की गर्मी व खून की कमी दूर करने में लाभकारी होता है। दाडिमावलेह में
दाडिम रस के साथ जायफल, जावित्री, तेजपान, दालचीनी आदि द्रव्यों का उपयोग
किया गया है। दाडिमवलेह मुख का स्वाद, रुचि बढ़ाने का पाचन क्रिया का कार्य
सुचारु रूप से रखने में सहायक है।
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दुबलापन : कारण व उपचार
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आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर
वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः
कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम
मात्र है।
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सर्दियों में स्वस्थ रखे आयुर्वेद
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जाड़ों में रात बड़ी होने से सुबह जल्दी ही भूख लग जाती है। सुबह का नाश्ता
तंदुरुस्ती के लिए ज्यादा फायदेमंद है। नाश्ते में हलुआ, शुद्ध घी से बनी
जलेबी, लड्डू, सूखे मेवे, दूध आदि पौष्टिक एवं गरिष्ठ पदार्थों का सेवन
करना चाहिए....
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उपवास : सर्वश्रेष्ठ औषधि
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आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के
विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें
शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को
सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है।
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वसंत ऋतु में न खाएँ दही
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दही का शरीर को पोषण करने के साथ-साथ औषधीय प्रयोग भी
है। दही के गुणकर्मों के अनुसार आयुर्वेद में दही सेवन के तरीके एवं उसका
किन व्यक्ति/ रोगी को सेवन निषेध एवं ऋतु अनुसार सेवन विधि का वर्णन
विस्तृत रूप में प्राप्त होता है।
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आहार
गर्मियों में इन पांच खाद्य पदार्थों का सेवन 'न' करें...
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अप्रैल और मई के महीनों में तापमान सबसे ज्यादा बढ़
जाता है। यह गर्मी बाहर के तापमान को तो बढ़ाती ही है, साथ ही शरीर में भी
गर्मी उत्पन्न करती है जिससे व्यक्ति थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करता है
जिससे उसकी एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
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चेरी क्यों खाएं? चेरी खाने के 3 मुख्य कारण
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छोटी लाल चेरी को अक्सर अनदेखा किया जाता है, लेकिन यह
स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। यह फल पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है
और चेरी को एक 'उपचार फल' (healing fruit) भी माना जाता है। रिसर्च में
पता लगाया है कि चेरी का तीखा जूस अनिद्रा को कम करता है और यह गठिया रोग
का खतरा भी कम करता है।
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कच्ची सब्जियाँ खाएँ, सेहत बनाएँ
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भरपूर भोजन के साथ अगर आप अच्छी सेहत का सपना पाले हुए
हैं, तो अपने भोजन में किसी कच्ची सब्जी या फल को जरूर शामिल करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे फल और सब्जियाँ भोजन को पचाने में सहायता
करने के साथ शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। विशेषज्ञों
के अनुसार कच्ची सब्जियों और फलों का कोई और विकल्प भी नहीं है।
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मौसमी सब्जियाँ : पौष्टिक और गुणकारी
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बाजार में चारों तरफ हरी पत्तेदार सब्जियाँ ताजी एवं
सस्ते दामों में छाई हुई हैं, लेकिन यह जानते हुए भी कि हरी पत्तेदार
सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है, बहुत कम सब्जियों का उपयोग किया
जाता है व उनमें से बहुत हरी पत्तेदार सब्जियों को जानते हुए भी फेंक दिया
जाता है। जैसे- चोलाई की डंडी, काँटेवाली चोलाई, चुकंदर, चने की दाल, छोड़,
इमली व लीची के पत्ते, अरवी, कद्दू, गाजर, फूलगोभी, लौकी, गिलकी, टमाटर,
आलू, सोयाबीन, आँवले, करेले व शलजम के पत्ते को भी खाने में उपयोग कर सकते
हैं।
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शाकाहारी होना 'कूल' है
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चाहे किसी प्रसिद्ध हस्ती की नकल हो, जानवरों के प्रति
सहानुभूति हो या स्वास्थ्य कारण हो, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता
कि युवा शुद्ध शाकाहार की ओर लौट रहे हैं। आज हर कहीं शाकाहार के प्रति
युवा आकर्षित हो रहे हैं। अब धार्मिक नियमों के बंधन, नैतिकता, स्वास्थ्य
या मांसाहार के प्रति अरुचि भी इसका कारण हो सकता है। ऐसे युवाओं की संख्या
दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो मांसाहार को किसी भी रूप में स्वीकार करने को
तैयार नहीं हैं।
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देशी दही के खिलाफ साजिश
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हमारे देश में घर से कोई कहीं जाने लगता है तो शगुन के
लिए दही खिलाने का रिवाज है। मतलब दही हमारे लिए एक आस्था भी है। दही में
पलने वाला भला बैक्टीरिया हमारे पेट को सिर्फ कई रोगों से ही नहीं बचाता है
बल्कि मान्यता है कि यह बुरी ताकतों से भी बचाता है। दही से बने मट्ठे के
बारे में एक बहुत चर्चित कहावत है- जो खाए मट्ठा, वही होए पट्ठा। लेकिन
लगता है, अब उस दही पर ही संकट आने वाला है। सरसों के तेल की तरह दही और
उससे बने मट्ठे को बदनाम करने की कोई रणनीति बन रही हो तो उसमें आश्चर्य की
बात नहीं।
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कैसे करें शुद्ध शहद की पहचान
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शहद एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों
द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद
छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है। शहद का स्वाद बेहद
मीठा होता है। दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है जो उत्तम एवं संतुलित भोजन
की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो
संतुलित आहार में होने चाहिए।
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आपके खाने में फाइबर है क्या?
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वैसे तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनेक तरह की
बीमारियाँ हमें अपनी चपेट में ले चुकी हैं लेकिन आमतौर पर जिस बीमारी से आज
हर इंसान परेशान है, वह है पेट की बीमारी। आज ज्यादातर लोग पेट दर्द,
एसिडिटी, जलन, खट्टी डकार जैसी पेट की बीमारियों से परेशान हैं। इस तरह की
समस्याएँ रेशेदार भोजन न करने से होती हैं। फलों को छिल्के समेत खाने से भी
हमारे शरीर को फाइबर प्राप्त होता है जो हमारी पेट संबंधी बीमारियों को
दूर करने में अहम भूमिका निभाता है। फाइबर युक्त या रेशेदार भोजन से खाना
अच्छी तरह पच जाता है।
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ब्रेड भी हो सकती है खतरनाक!
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हमारे देश के कई घरों में सुबह का नाश्ता और 'ब्रेड'
एक-दूसरे के पूरक हैं। कोई ब्रेड मक्खन के साथ खाता है, तो कोई चीज स्प्रेड
के साथ। कोई ब्रेड को जेम के साथ खाता है तो कोई दूध में डालकर। ब्रेड को
क्रीम के साथ भी खाया जाता है। ब्रेड के सेंडविच बनते हैं। बर्गर और पिज्जा
के मूल में भी ब्रेड ही होती है। पावभाजी खाने वाले तो जानते ही हैं कि
पाव मतलब ब्रेड ही है। हम रोजाना ब्रेड से रूबरू होते हैं और उसके कई
प्रकार के पकवान बनाते-खाते हैं।
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विश्व आहार दिवस : 16 अक्टूबर
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बिगड़ते खान-पान के कारण आज लोगों की सेहत पर बेहद
बुरा असर पड़ रहा है। 16 अक्टूबर विश्व आहार दिवस के रूप में मनाया जाता
है। इस दिन अपनी आहार शैली को सुधारने का संकल्प लिया जा सकता है। अब हमें
आहार के प्रति हर जगह पर विशेष सतर्कता की जरूरत है। चाहे वह होटल, स्कूल,
हॉस्पिटल, घर या रेस्टारेंट हों, हर जगह संतुलित आहार अवश्य मिले।
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सेहत के लिए लाभकारी शाकाहार
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भारतीय संस्कृति में हमेशा से शाकाहार की महिमा पर जोर
दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद
शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के
सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से
किनारा करना शुरू कर दिया है।
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नवरात्रि में ले सकते हैं फास्ट फूड
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पुराने जमाने में व्रत रखने वाले लोग सिर्फ एक वक्त
सात्विक भोजन किया करते थे। जिसमें दूध, फल या सामक के चावल से बनी खिचड़ी
या खीर प्रमुख थी। आजकल के दौर में जहाँ सब कुछ तेज रफ्तार से होता है,
वहीं भोजन भी कुछ इसी अंदाज का हो गया है। आमतौर पर तो आप बर्गर, पेटीज,
वेफर्स जैसे फास्टफूड खाते ही हैं, व्रत और उपवास के लिए भी कई तरह के
पैक्ड फूड बाजार में आ रहे हैं।
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घरेलू नुस्खे
बालों का दोस्त है आपकी रसोई का जीरा
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हमारे देश में जितनी जैव-विविधता है उतनी धरती के किसी
और हिस्से में नहीं है। आयुर्वेद ने जितनी वनस्पति है प्रत्येक को औषधि
माना है। हमारी रसोई में जितने मसाले वापरे जाते हैं उतने दुनिया के किसी
दूसरे देश के खान पान में नहीं मिलते। जीरा भी इनसे से एक है।
आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि गर्मियों की तपती धूप का सामना केवल जीरा
और धनिए के दम पर किया जा सकता है।
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रसीले अंगूर : गर्मियों में कूल-कूल
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गर्मी का मौसम आ गया है। इन दिनों रसीले फल अंगूर की
आवक बड़ी मात्रा में हो रही है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह
एक बलवर्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। इसमें मां के दूध के समान पोषक तत्व
पाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से अंगूर के कई फायदे हैं।
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होली के रंग छुड़ाने के घरेलू तरीके
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होली खेलने के बाद रंगों को छुड़ाने का दौर काफी
मुश्किलों भरा रहता है। इस डर से बहुत से लोग तो होली खेलते ही नहीं हैं।
लेकिन थोड़ी सी सावधानी से सेहत को बनाए रखते हुए भी होली खेली जा सकती है।
हमने यहां रंग छुड़ाने के तरीके दिए हैं। होली की मस्ती में खोने से पहले
इन्हें एक बार जरूर पढ़ लें
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ड्राय स्किन की देखभाल और घर पर करें फेशियल
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तेजी से आगे बढ़ते वर्तमान युग में पुरुषों और महिलाओं
दोनों पर सुंदर दिखने का दबाव बढ़ता है जा रहा है। त्वचा को स्वस्थ रखना
पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। फेशियल और क्लीनअप्स त्वचा को
तरोताजा रखने के सर्वश्रेष्ठ उपाय के रूप में सामने आए हैं। फेशियल्स त्वचा
की सतह से रोमकूपों की गहराईयों तक में जाकर उसे साफ और स्वच्छ करता है
साथ ही त्वचा का पोषण भी करता है। क्लीनअप्स से चेहरे की त्वचा की सफाई
होती है, मृत त्वचा निकल जाती है और नमी लौट आती है। जो युवा हैं और उन्हें
एक्ने की समस्या है तथा त्वचा भी ऑईली है उन्हें क्लीनअप्स कराना चाहिए।
यद्यपि फेसियल्स किसी ट्रेंड प्रोफेशनल्स से कराना चाहिए, फिर भी आप इसे घर
पर भी कर सकती हैं। हो सकता है कि यह ब्यूटी सैलून में कराए गए फेशियल्स
जैसा असर कारक न दिखे लेकिन चेहरे की सफाई तो हो ही जाती है।
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अदरक : सर्दियों में गुणकारी
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अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) आग में
गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुँह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते
रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खाँसी ठीक हो
जाती है।
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सर्दी, बुखार और खांसी में इन्हें आजमाएं
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अजवायन, पीपल, अडूसा के पत्ते तथा पोस्त-डोडा- इनका
क्वाथ बनाकर पीने से खांसी, श्वास तथा कफ ज्वर का इलाज होता है।
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जानिए केसर के गुण
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शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पंखुड़ी 2-4 बूंद दूध
के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध
में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर
जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएं और रात को सोते समय लेप करें।
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छोटी-मोटी परेशानियों के लिए 20 घरेलू नुस्खे
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सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए तुलसी के चार
पत्ते पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाएं। सुबह पिलाएं। आमाशय का दर्द तुलसी
पत्र को चाय की तरह औटाकर सुबह-सुबह लेना लाभदायक। सीने में जलन हो तो
पावभर ठंडे जल में नीबू निचोड़कर सेवन करें।
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सर्द मौसम के 10 रोग और 10 उपचार
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ठंड के मौसम में अक्सर जो रोग होते हैं, उनसे हम छुटकारा पा सकते हैं। बशर्ते यह उपाय आजमाएं।
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सर्दियों में गुणकारी हल्दी के उपयोगी नुस्खे
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चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयां हटाने के लिए हल्दी और
काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। हल्दी-दूध
का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता
है।
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दिल के रोगियों के लिए घरेलू नुस्खे
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पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत
क्षमता है। इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली
जा सकती हैं। खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि
सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
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ब्यूटी के लिए घरेलू नुस्खे
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25 मिली ग्लिसरीन और 25 मिली शुद्ध गुलाब जल में 5
ग्राम सल्फर पावडर मिलाएं। इस लेप को रात में चेहरे के दाग-धब्बे, मुंहासे
पर लगाकर छोड़ दें। सबेरे पानी से चेहरा धोएं। इस लेप से एक हफ्ते में आप
एक्ने की प्रॉब्लम से निजात पा सकते हैं। बेहतरीन रिजल्ट पाने के लिए
सप्ताह में 3 बार इसे लगाएं।
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जडी-बूटियाँ
वीर्य को पुष्ट करती है सफेद मूसली
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सफेद मूसली सदियों से हमारे देश में बल पुष्टिकारक के
तौर पर जानी जाती है। चीनी जड़ी जिंसेंग की तुलना में सफेद मूसली अधिक
गुणकारी है। स्थानीय जड़ी होने के कारण सफेद मूसली जिंसेंग की तुलना में
बहुत सस्ती है।
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गजब का एंटिबायोटिक- लहसुन
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हमारे देश में लहसुन रसोई का अनिवार्य हिस्सा रहा है।
इसे चटनी से लेकर बघार तक सभी तरह से इस्तेमाल किया जाता है। तामसिक खाद्य
पदार्थ होने के बावजूद इसके औषधियों गुणों के कारण यह आयुर्वेदिक
चिकित्सकों का प्रिय है।
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सेक्स में अरुचि है, जायफल आजमाएं...
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आदिवासियों के अनुसार जायफल का चूर्ण तैयार किया जाए
और करीब 2 ग्राम चूर्ण में इतनी ही मात्रा की मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह
शाम फ़ांकी मार ली जाए तो हर्बल जानकारों का मानना है कि यह शरीर को पुष्ट
बनाता है।
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पैरों की बिवाइयों का देसी आदिवासी इलाज
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पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में देसी नुस्खे सबसे
कारगर माने जाते हैं। अधिकांश नुस्खों में किचन में इस्तेमाल हो रहे मसालों
से इलाज की सलाह दी जाती है। ये न तो बहुत मंहगे होते हैं और न इनके साइड
इफेक्ट्स।
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10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां : दूर करें हर समस्या
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आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के इलाज
मौजूद है। ऐसी चीजें जो हमारे आसपास ही हैं लेकिन हमें उनके बारे में
जानकारी नहीं है। प्रस्तुत है 10 ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जो आपको बिना
किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ देंगी।
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मिर्गी का चमत्कारी इलाज है डीप ब्रेन स्टमयुलाजेशन
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मिर्गी का दौरा मरीज की जिंदगी तबाह कर देता है। मरीज
के कारण परिवार को आर्थिक संकट के साथ सामाजिक मुश्किलों का सामना करना
पड़ता है। ऐसे में डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन थेरेपी एक चमत्कार के तौर पर
सामने आई है।
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मधुमेह के नियंत्रण का देसी नुस्खा
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मधुमेह पर नियंत्रण के लिए सदियों से पारंपरिकतौर पर
स्थानीय आदिवासी इन नुस्खों का इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान भी
इनके असर को स्वीकार कर चुका है। पहले से चले आ रहे इलाज को बंद न करें, उन
औषधियों के साथ इन नुस्खों को भी आजमाएं। फायदा जरूर होगा।
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जोड़ों के दर्द का अचूक इलाज है यह तेल
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बाजार में मिल रहे कई दर्दनिवारक तेलों की अपेक्षा
आदिवासियों द्वारा सदियों से आजमाए जा रहे इस नुस्खे को भी आजमा कर देखें।
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जबर्दस्त वाजीकरण नुस्खा है सहजन के फूल और गाय का दूध
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ड्रगस्टिक्स, मुनगा या सहजन ऐसी वनस्पति है जो जड़ से
लेकर पत्ती और फूल तक इंसान के काम आती है। दक्षिण भारत के प्रायः हर भोजन
में ड्रमस्टिक्स की मौजूदगी अनिवार्य मानी जाती है। आधुनिक भोजन शैली में
सहजन की फलियों को वह स्थान प्राप्त नहीं हे जो उसके औषधीय गुणों के कारण
मिलना चाहिए।
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नाक से खून बहने का अचूक इलाज
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(सोमवार 24 मार्च 2014)
गर्मियों में अक्सर नकसीर (नाक से रक्त बहने ) की
शिकायत होती है। कई लोग घबराकर ऐसे उपाय भी करते हैं जिनसे मरीज को फायदे
के स्थान पर नुकसान हो जाता है। घबराइए नहीं क्योंकि देसी जड़ी बूटियों में
इसका अचूक इलाज मौजूद है।
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माईग्रेन में राहत दिलाए अरहर और कालीमिर्च
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(बुधवार 5 मार्च 2014)
माईग्रेन एक अत्यंत पीड़ा दायक रोग है जिसका माकूल
इलाज अब तक नहीं मिल सका है। अरहर और कालीमिर्च के मिश्रण से ऐसा रसायन
तैयार होता है जो इस पीड़ादायक दर्द में राहत दिलाता है।
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कच्चे आलू का रस वरदान है ऑर्थ्राइटिस के मरीजों के लिए
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(मंगलवार 4 मार्च 2014)
कच्चे आलू के रस में कार्बनिक नमक होता है जो आर्थ्राइटिस के मरीजों के लिए वरदान है।
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हेल्थ टिप्स : थकान उतारें ऐसे

थकान उतारने के लिए आप कुछ इस तरह प्रयास करें-
अपनी दो अंगुलियों के पोरों से चेहरे की हल्की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कूलेशन बढ़ेगा, जिससे आप महसूस करेंगे कि आपकी थकान रफूचक्कर हो गई है।
* नाक के दोनों ओर हल्की मालिश करते हुए धीरे-धीरे दोनों आंखों के बीच वाले भाग से लेकर आंखों के नीचे भी हल्की मालिश करें। फिर इसी तरह से भौहों तक पहुंचें।
* भौहों पर हल्का दबाव डालते हुए अंदर से बाहर की ओर मालिश करें।
* अब आंखों के बाहरी किनारों पर मालिश करते हुए ललाट तक पहुंचें।
* इसके बाद आंखों के एकदम नीचे की ओर आएं। गालों के बीच हल्की मालिश करते हुए फिर ऊपर से ही मसूड़ों की भी मालिश करें। इसके बाद जबड़ों को अंगुलियों की पकड़ में लें और जबड़ों के किनारों पर हल्का दबाव डालें।
* कई बार सुगंधित तेल के प्रयोग से भी शरीर की थकावट को भगाया जा सकता है। सुगंधित तेल से प्रभावित अंग की हल्की मालिश करने से ताजगी महसूस होती है, इसके लिए सुगंधित तेल की कुछ बूंदें वनस्पति तेल में मिलाकर मालिश करनी चाहिए।
स्वस्थ रहने की 10 अच्छी आदतें
* घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
* ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।
* बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
* खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
* खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
* अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
* मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।
* कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
* 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
Sunday, April 27, 2014
Got a late-night sugar craving that just won't quit? "To satisfy your
sweet tooth without pushing yourself over the calorie edge, even in the
late night hours, think 'fruit first,'" says Jackie Newgent, RD, author
of The Big Green Cookbook. So resist that chocolate cake siren,
and instead enjoy a sliced apple with a tablespoon of nut butter (like
peanut or almond) or fresh fig halves spread with ricotta. Then sleep
sweet, knowing you're still on the right, healthy track.
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